छत्तीसगढ़ सरकार को हाईकोर्ट से झटका, मीसा बंदियों को फिर मिलेगी पेंशन

छत्तीसगढ़ में मीसाबंदियों के सम्मान निधि को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है। हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने मीसा बंदियों के मामले में सरकारी याचिका पर सुनवाई के बाद उसे खारिज कर दिया है। सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ राज्य शासन ने डबल बेंच में अपील की थी और सुनवाई के बाद फैसल सुरक्षित रख लिया गया था। हाईकोर्ट ने रोकी गई सम्मान निधि जारी करने का भी आदेश दिया है।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में हाईकोर्ट में मीसा बंदियो को पेंशन मामले में सरकारी याचिका खारिज हो गई है। सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ शासन ने डीबी में अपील की थी सुनवाई के बाद फैसल सुरक्षित था। चीफ जस्टिस की डीबी ने मामले में अपना फैसला सुनाते हुए शासन के नए नियम को जांच के बाद निरस्त कर दिया, वहीं शासन की याचिका भी खारिज कर दी। पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के समय में मीसाबंदियों के लिए सम्मान निधि जारी की जाती थी। भाजपा सरकार ने आपातकाल के दौरान छत्तीसगढ़ के राजनैतिक या सामाजिक कारणों से मीसा, डीआईआर के अधीन निरुद्ध व्यक्तियों को सहायता देने के लिए लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम 2008 बनाया था। नई सरकार ने मीसा बंदियों की पेंशन पर रोक लगाते हुए नियमों में बदलवा कर दिया, जिसके खिलाफ 30 से ज्यादा मीसा बंदी ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। सिंगल बेंच ने मीसाबंदियों को पेंशन देने का निर्देश दिया था, जिसके खिलाफ शासन ने चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में अपील की थी। हाईकोर्ट ने शासन के नियम को निरस्त करते हुए रिट अपील भी खारिज कर दी है।

क्या है मीसा और कौन हैं मीसाबंदी
1975 को इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाया था। आपातकाल की घोषणा के तुरंत बाद से ही देशभर में मीसा कानून के तहत गिरफ्तारियां शुरू हो गई थी। गिरफ्तार होने वालों में छात्र नेता, मजदूर नेता, प्राध्यापक, राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता, विपक्षी दलों के नेता और इंदिरा गांधी की राजनीतिक आलोचना करने वाले शामिल थे। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सहयोगियों-शुभचिंतकों के साथ ही समाजवादी विचारधारा को मानने वाले छात्रों-नौजवानों की संख्या इसमें ज्यादा थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विद्यार्थी परिषद माकपा एवं एसएफआई से जुड़े लोगों पर भी मीसा का कहर बरपाया गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button